आज पहली बार अपनी जीवन में किये अनुभव साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ | आज 28 वर्षों के जीवन में पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि हम मानव कितना भी ज्ञान प्राप्त कर ले लेकिन जब प्रकृति एवं भगवान हमारे खिलाफ हो जाय तो हम पूरी तरह से खुद के निर्थक मानने के सिवा हमारे पास और कोई रास्ता नहीं बचता हैं जीवन के इस पराव पर आज पूरी मानव जाति बेबस, बेकार और खुद को एक लाचार इंसान के सिवा और खूह नहीं महसूस कर रहा है |